लड्डू गोपाल को भूलकर भी न अर्पित करें ऐसी तुलसी, देखें क्या है खास
- By Habib --
- Saturday, 11 May, 2024
Do not offer such basil to Laddu Gopal even by mistake.
कई घरों में लड्डू गोपाल की सेवा की जाती है। वैसे तो लल्ला की सेवा विधि करना बेहद आसान है। लड्डू गोपाल की सेवा एक छोटे बच्चे की तरह की जाती है। लड्डू गोपाल की पूजा-सेवा के दौरान उनको तुलसी पत्र और मंजरी भी अर्पित की जाती है। बता दें कि तुलसी के बिना लड्डू गोपाल की पूजा अधूरी मानी जाती है। ऐसे में हर कोई लड्डू गोपाल को स्नान कराने के बाद उनके मस्तक पर तुलसी पत्र अर्पित करते हैं। वहीं लड्डू गोपाल के भोग में भी तुलसी डाली जाती है।
आपको बता दें कि लड्डू गोपाल को भगवान श्रीकृष्ण का बाल स्वरूप माना जाता है। वहीं लड्डू गोपाल को तुलसी अर्पित करने के कुछ नियम होते हैं। लेकिन नियमों की जानकारी न होने के कारण लोग अंजाने में लड्डू गोपाल को गलत तरीके से तुलसी दल अर्पित करते हैं। जिस कारण उनको पूजा का पूरा फल नहीं मिलता है। ऐसे में आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको लड्डू गोपाल को तुलसी दल अर्पित करने सही तरीके के बारे में बताने जा रहे हैं।
लड्डू गोपाल को ऐसी तुलसी न करें अर्पित
लड्डू गोपाल को कभी तुलसी के पत्ते तोडक़र टुकड़ों में अर्पित नहीं करना चाहिए। लड्डू गोपाल को हमेशा साबुत तुलसी के पत्ते अर्पित करने चाहिए। ताजी तुलसी की पत्ती तोडक़र इन्हें लड्डू गोपाल के मस्तक पर चिपकाएं।
कभी भी लड्डू गोपाल को बासी तुलसी के पत्ते नहीं अर्पित करनी चाहिए। सिर्फ रविवार और एकादशी तिथि को ही आप लड्डू गोपाल को एक दिन पहले तोड़ी हुई तुलसी की पत्तियां अर्पित कर सकते हैं।
बहुत सारे लोग सुखी तुलसी या तुलसी की पत्तियों को सुखाकर उनका चुरा बना लेते हैं। फिर बाद में वहीं तुलसी की पत्तियों को लड्डू गोपाल को अर्पित करते हैं। लेकिन ऐसा करने से बचना चाहिए।
लड्डू गोपाल को अर्पित करें ऐसी तुलसी
हमेशा साफ-सुथरी और ताजे तुलसी के पत्ते ही लड्डू गोपाल को अर्पित करना चाहिए।
लड्डू गोपाल को अर्पित करने वाले तुलसी के पत्ते कटे-फटे नहीं होने चाहिए।
कई बार तुलसी के पौधे में कीड़े लग जाते हैं, जिसके कारण पत्तियों में छेद हो जाते हैं। इसलिए लड्डू गोपाल को यह तुलसी की ऐसी पत्तियां नहीं अर्पित करनी चाहिए।
तुलसी की पत्तियों को रविवार और एकादशी के दिन नहीं तोडऩा चाहिए। इसलिए लड्डू गोपाल को तुलसी की पत्तियां अर्पित करने के लिए आप शनिवार और दशमी तिथि पर इन्हें तोडक़र रख सकते हैं और दूसरे दिन अर्पित कर सकते हैं।
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